मैंने तुम्हारे संग काफी सपने देखे थे मगर सपने कहाँ पूरे होते है.. हमारा सपना भी अधूरा रहा.. साथ जीने का सपना या साथ मरने का सपना.. दोनो अलग बात थोड़ी है?
जब तुम और मैं कॉलेज में साथ थे तब मेरे कुछ दोस्त मुझसे जलते थे और उनका जलना भी स्वाभाविक है.. उन्हें मैं लकी लगता था.. एक तो इतने अच्छे कॉलेज में एडमिशन मिल जाना और ऊपर से तुम्हारे साथ मेरा रिश्ता.. मैंने इन बातों को नज़रंदाज़ किया मगर अब जब हम एक दुसरे से दूर है तो मैं सोचता हूँ कि शायद मुझे हमारे रिश्ते को इस दुनिया से छिपाकर रखना चाहिए था तब इस दुनिया की नज़र हमें न लगती.. मगर उस वक्त तो ये सभी बातें व्यर्थ ही लगती थी..
मैं कॉलेज के समय तुम्हारे लिए कविताएं लिखता था.. कुछ तुम्हें समझ नहीं आती थी क्योंकि उनमें बिछरने का डर था.. तुम कहती थी कि मैं तो तुम्हारे पास ही तो हूँ तुम इतना डरते क्यों हो?
मेरे पास कोई जवाब नहीं होता था मगर अब लगता है कि क्या मेरे न डरने से हम आज साथ होते? कहीं डरना गलती तो नहीं थी.. कभी अफ़सोस भी होता है.. तो कभी बस रोने का जी करता है.. दोनों करने का मौका मुझे ज़िंदगी नहीं देती, इसलिए मैं लिखता हूँ..
जब हम कॉलेज से साथ घूमने निकलते थे तो मुझे दुनिया घूमने से ज्यादा तुम्हारे मौजूदगी की खुशी होती थी.. मेरा स्वप्न था तुम्हारे साथ दुनिया घूमना.. कुछ चंद स्वप्न जो पूरे हुए आज मुड़कर देखने में काफी सुंदर लगते है.. वो तुम्हारा मेरे शर्ट पर आइसक्रीम गिरा देना या तुम्हारा मुझे सबके बीच गले लगाना.. तभी छोटी बातें लगती थी मगर अब उन यादों का ही सहारा है.. सच कहूँ तो मैं कभी नहीं चाहता था कि तुम मुझसे दूर जाओ.. मैं तुम्हारे साथ दुनिया घूमना ही नहीं बसाना भी चाहता था.. लेकिन अब ये सब बस एक स्वप्न लगता है.. तुम्हारा मेरे साथ होना भी एक स्वप्न लगता है.. पूरी ज़िंदगी इन स्वप्नों के इर्द - गिर्द ही तो है..
—Praphull🖤
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