I am stuck between life and words so I try to live here.

Post Page Advertisement [Top]


x9q03439


लौट जाने की इच्छा कितनी तीव्र हो सकती है, जैसे मुझे कभी यहाँ नहीं आना था, जहाँ पर मैं हूँ। लौट जाना कितना मुश्किल हो जाता है कहीं जाने के बाद। घर कहीं रह जाता है बहुत पीछे। कंप्युटर स्क्रीन के सामने लाइट मोड में भी सब अँधेरा से भरा हुआ है, आँखें बहुत कुछ देखना चाहती थी। मगर अब वो बंद पड़ रही है। लिखने की हिम्मत नहीं हो रही। हाथों में अजीब सा दर्द है। कहीं घूमने जाने का मन है। किसी जगह जहाँ लोग मुझे जानते है। अनजान होने से डर लगने लगा है। नई भाषा वाली जगहों पर जाना शायद इन सारी चीजों को और तीव्र होने देता है। जैसे कोई अकेलापन और तेज़ी से मेरी तरफ बढ़ रहा हो, पहले से अधिक। सड़के भरी हुई है। गाड़ियाँ रुकती नहीं। न लोग रुकते है। “ज़िंदगी एक रेस है” ये बात सच साबित होती दिख रही है। मैंने अपना पुराना अस्तित्व कहीं पीछे छोड़ दिया है। अंधेरे में कहीं गुम, जिसकी अब कोई सुबह नहीं होती। रात और दिन के बीच का अंतर खत्म होता जा रहा है। सब चीज़ एक समान सा लगने लगा है। इतना अजीब और अलग शायद ही पहले कभी एक साथ लगा हो। पुरानी चीज़ें भूल नहीं रहा, मगर उनके बारे में सोचने का समय बहुत कम मिलता है। बिछड़े लोग हमेशा मेरे दिमाग़ के एक कोने में मेरे साथ घूमते रहते है। हमारे सपने एक से थे। अब न मेरे सपने बचे है, न वो लोग। हर एक चीज कितनी तेज़ी से हमारे हाथों से निकल जाती है। सबका अलग वक्त होता है जो अपने गति से चलता है; एक दूसरे के वक्त में— लोग बहुत पीछे रह जाते है। आधी से ज्यादा चीजें बेमतलब सी लगने लगी है। भरोसे जैसा कुछ नहीं लगता। बुनियादी सोच पर अब शक होने लगा है। पहले से मानी गई सारी बातें झूठ लगने लगी है। बहुत सारे दुःख है, जिनसे छिपना चाहता हूँ। भागना चाहता हूँ बहुत दूर, जहाँ वो मुझे डरा न सकें। नींद की बहुत ज़रूरत सी जान पड़ती है, फिर भी आँखें खोई हुई चीज़ों को ढूँढने में व्यस्त है।

जैसे घर, लोग, सपने और नींद।

—praphull

No comments:

Post a Comment

ADs

Buy Me A Coffee
You can buy me a coffee here.